प्राचीन वैदिक एवं लौकिक साहित्य में निहित विज्ञान को लोकोपयोगी बनाने हेतु शोधपरक अध्ययन कर उसे प्रकाशित करने हेतु अत्यंत विशाल एवं समृद्ध अनुसंधान केन्द्र स्थापित है जिसमें दुर्लभ ग्रंथों का संग्रहण, संरक्षण, संपादन एवं प्रकाशन का कार्य हो रहा है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा स्वीकृत त्रैमासिक शोध पत्रिका 'वयम्' का संस्कृत, हिंदी तथा अंग्रेजी भाषाओं में शोधनों के सहित प्रकाशन का कार्य हो रहा है। प्राचीन शोध और व्याख्यान हेतु अनुसंधान केन्द्र में आठ शोधपीठ स्थापित हैं, जिसमें श्रीरामानन्दाचार्य वेदांत पीठ, सवाई महाराज जयसिंह ज्योतिषविज्ञान पीठ, वेदवाङ्मयपि्ठ डॉ. मधुसूदन ओझा वेदविज्ञान पीठ, महामहोपाध्याय गिरीश शर्मा चतुर्वेद व्याकरण पीठ, भट्ट मधुसूदन शास्त्री साहित्य पीठ, पद्मश्री श्रीपति पण्डितार्य शास्त्री मीमांसा एवं धर्म पीठ, पं. नियामानन्द शास्त्री आधुनिक संस्कृत पीठ तथा महाकवि ज्ञानसागर जैन दर्शन पीठ निरंतर संचालित हैं।
अनुसंधान केन्द्र में शोधोपयोगी 850 दुर्लभ पाण्डुलिपियों का संग्रह है। व्याख्यानमणिमाला, मञ्जुनाथवाहिनी, साङ्ख्यकारिका, काव्यदर्पणविचार, वैदिकवाङ्मय ज्योतिषाश्रम, अक्षराश्रम, चिकित्सा ज्योतिषम्, Integral World - View of The Vedas आदि ग्रंथों का संपादन और प्रकाशन किया गया है। इसके अतिरिक्त अनेक शोध केन्द्रों को भी मान्यता प्रदान की गई। अनुसंधान केन्द्र विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अनुसरण विद्यालयवपि्ठ (पीएच.डी.) एवं विद्यावाचस्पति (डी.लिट्) आयोजित करता है।
निदेशक, अनुसंधान केंद्र
डॉ. राजधर मिश्र
सहायक आचार्य
डॉ. संदीप जोशी